इस लेख में हम जानेंगे सहजन के फायदे या मोरिंगा के फायदे के बारे में | सहजन के बारे में विस्त्रीत जानकारी , सहजन के पतियों के फायदे और सहजन के नुकसान के बारे में |
सहजन क्या है?
इसका वास्तविक नाम मोरिंगा या ओलीफेरा है | यह बहुत ही उपयोगी पेड़ है क्योंकि इसका अनेक भाग बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर हैं | आयुर्वेद में सहजन का उपयोग बहुत पुराने समय से किया जा रहा है | इसलिए इस पेड़ के विभिन्न भागों का अलग अलग कार्य में उपयोग किया जाता है |
हिताहितं सुखं दुःखं आयु: तस्य हिताहितं |
मानं च तच्च य्तोत्रंक आयुर्वेद: स उच्यते ||
सहजन के बारे में कुछ विशेष तथ्य
वानस्पतिक नाम | मोरिंगा ओलिफेरा | उपयोगी भाग | जड, छाल,बीज की फली, पतियां,पौधे का रस,फुल |
कुल | फेबेसी | संस्कृत नाम | शोभांजन,दंशमूल, शिग्रू , |
सामान्य नाम | सहजन,सहिजन,ड्रमस्टिक प्लांट | गुण | गर्म |
सहजन का पौधा :-
इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 10 मीटर होती है और लगभग 100 दिनों में इसमें फुल आता है | पौधे लगाने के लगभग 150 -175 दिनों में इसमें फल तैयार हो जाता है इसका फल पतला लम्बा , हरे रंग का होता है जोकि पेड़ के तने के नीचे लटका रहता है | इस पौधे की कच्ची हरी फलियां सर्वाधिक उपयोग में लायी जाती हैं | इस पौधे के लगभग सभी अंग खाने के प्रयोग में लाये जाते हैं |
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सहजन के पौधे के औषधिय गुण :-
- अन्धता से बचाव में सहायक
- घाव को जल्दी भरता है
- दर्द व सुजन को कम करता है
- हड्डियों की बीमारियों में मददगार
- महिलाओं के सुपोषण हेतु उपयोगी
- गैस्ट्रिक और अल्सर जैसी समस्याओं में उपयोगी
- ब्लड शुगर और उच्च रक्तचाप में उपयोगी
सहजन का पौधा कैसे लगायें :-
इस पौधे के पते, फुल और फ्लियाँ सभी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजद होते हैं | इसलिए तो लोग इसे अपने खान – पान में शामिल करते हैं |
- अगर आप इसके बीज को सीधा जमीन में लगा रहें है तो 1.5 फीट लम्बा-चोड़ा तथा 1 फीट गहरा गढ्ढा खोद लें | यदि अगर आप गमले में पौधा लगाना चाहते हैं तो गमले में मिटटी , रेत और जैविक खाद उचित मात्रा में मिला लें |
- गड्ढा खोदने के बाद अब इसमें पानी डालें और कुछ समय पश्चात् जब धरती पानी को शोख ले तब आप इसमें बीजरोपण अर्थात बीज लगा दें
- बीज एक अंगुली जितना गहरा जमीन में रखें और फिर उसके ऊपर मिटटी ढक दें |
- अब इसमें थोडा पानी डालें | ठीक इसी प्रकार 7 दिन तक हर रोज 1 या 2 गिलास पानी डालते रहें |
- लगभग 7 से 8 दिन में बीज अंकुरित हो जायेगा और 15 से 16 दिन में पौधा थोडा बढ़ने लगेगा |
- 1 महीने पश्चात् आप अनुभव करेंगे की इसकी लम्बाई काफी बढ़ गयी है और लगभग 4 माह पश्चात् इसमें फुल और तकरीबन 6 महीने बाद इसमें फलियां आनी शुरू हो जाती हैं |
सहजन की पतियों के फायदे :-
ये कई तरह के पोषक तत्व और खनिज पदार्थों का बेहतरीन श्रोत है | इसमें 92 तरह के मल्टी विटामिन्स , 46 तरह के एन्टी-ओक्सिडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक तथा 18 तरह के एमिनो एसिड पाये जाते हैं | एक अध्धयन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुणा पोटासियम तथा संतरे की तुलना में 7 गुणा विटामिन – C पाया जाता है | हजारों सालों से इसकी पतियों का उपयोग आयुर्वेदिक ओषधि बनाने में किया जा रहा है | आइये जानते है किन किन बीमारियों में ये पतियां फायदेमन्द हैं :-
- उच्च रक्तचाप :- जैसा की हमने बताया की इसकी पतियों में पोटेशियम की अच्छी मात्रा होती है जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में प्रभावी होता है | इसकी पतियों में मिलने वाला पोटाशियम वैसोप्रेसिन नामक हार्मोन को नियंत्रित करता है | यह हार्मोन रक्तवाहिकाओ के काम काज को प्रभावी करता है | इसलिए यह उच्च रक्तचाप वाले रोगियों के लिए बहुत फायदेमन्द है |
- दिल के लिए :- इसकी पतियों में ओमेगा – 3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होने के कारण यह आपके दिल को खराब कोलेस्ट्रोल के प्रभाव से बचाता है | यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रण में रखता है जिससे हृदय सम्बन्धी समस्याओं से निजात मिलती है |
- मधुमेह :- इसकी पतियों में एन्टी-ओक्सिडेंट गुण होते हैं जो मधुमेह के रोगी में लिए बहुत फायदेमन्द होता है | यह इन्सुलिन के स्तर को नियंत्रित कर तथा सवेंदनशिलता को बढ़ा सकती है जो मधुमेह रोगी को लाभदेह है |
- कैंसर का खतरा :- मोरिंगा की पतियों में कई तरह के पोषक तत्व जैसे – विटामिन – c,एन्टी-ओक्सिडेंट,जस्ता तथा अन्य कई सक्रिय खटक होते है जो फ्री रेडिकल और कैंसर की कोशिकाओं के दुस्प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं |
- आंखो के लिए :- विटामिन – A की उच्च मात्रा होने के कारण यह आंखो के लिए बहुत फायदेमन्द है | इसकी पतियों में ल्यूटिन की अच्छी मात्रा होती है ग्लुकोमा नमक रोग को रोकने में सहायक है |
- रोगप्रतिरोधक अक्षमता :- मोरिंगा के पतों में बहुत सारे एन्टी-ओक्सिडेंट तथा विटामिन होते हैं जो हमारे शरीर को प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में कारगर है | इसके साथ साथ यह वायरस और बक्टिरिया के प्रभाव को भी कम करता है |
- कब्ज :- इसमें मौजूद फाइबर हमारी पेट की आंतो में जमा होने वाले हानिकारक पदार्थों को दूर करने में मदद करता है | इसलिए इसका इस्तेमाल कब्ज से बचने में लाभकारी सिध्द होता है |
- मस्तिष्क के लिए :- इसमें मोजूद पोषक तत्व जैसे ओमेगा-3,फैटी एसिड,आयरन तथा अन्य कई पदार्थ होते हैं जो मस्तिष्क के स्वस्थ के लिए लाभकारी होते हैं | ओमेगा-3 याददास्त को बढ़ाने में सहायक होता है तथा इसमें मोजूद एन्टी-ओक्सिडेंट मस्तिस्क कोशिकाओं को नुकसान पहुचाने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को भी कम करते हैं |
- वजन कम करने में :- इसकी पतियों में मोजूद फाइबर की मात्रा हमरे शरीर में भोजन को पचाने तथा भूख को नियंत्रित करने में सहायक है जिससे आप लम्बे समय तक बिना खाए रह सकते है जोकि हमारे वजन को कम करने में सहायक हैं |
- एनीमिया से बचाता है :- मोरिंगा के पतों में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए यह अनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है |
सहजन के नुकसान :-
- गर्भवती महिला :- यही आप गर्भवती हैं तो सहजन का उपयोग ना करें | यदि आप गर्भवती हैं तो मोरिंगा की जड़, छाल या फूलों का उपयोग करना संभवतः असुरक्षित है। जड़, छाल और फूलों में मौजूद रसायन गर्भाशय को संकुचित कर सकते हैं। पारंपरिक चिकित्सा में जड़ और छाल का उपयोग गर्भपात के लिए किया जाता था। गर्भावस्था के दौरान मोरिंगा के अन्य भागों के उपयोग की सुरक्षा के बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। सुरक्षित पक्ष पर रहें और उपयोग से बचें।
- स्तनपान :– हालांकि सहजन कभी कभी माँ के स्तन दूध उत्पादन को बढ़ावा देता है लेकिन यह नवजात शिशु के सुरक्षित है या नहीं ? इसलिए अगर आप स्तनपान करा रही हो तो सहजन के उपयोग ना करें |
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